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वृक्ष हमारे सच्चे मित्र है

जय कुलदेवी सेवा समिति रतलाम संस्था आमजनों के हितार्थ सेवा हेतु सदैव तत्पर रहती है ।
संस्था अध्यक्ष विजय सिंह यादव के मार्ग दर्शन में इसी क्रम में संस्था द्वारा आयोजित प्रत्येक रविवार निःशुल्क कोचिंग क्लासेस में आये छात्र-छात्राएं को आज फ्रेंडशिप दिवस पर जीवन रक्षक वृक्षों से मित्रता करने कि प्रेरणा दि गई जिसमे छात्र-छात्राएं ने बड़े हर्ष और उल्लास से भाग लिया और पर्यावरण और वृक्षों के प्रति अपने के बंधन को निष्ठा से निभाने को बहुत गंभीरता से लिया ।
किसी कवि ने लकड़ी की अहमियत बताते हुए लिखा है- "जीते लकड़ी, मरते लकड़ी, खेल तमाशा लकड़ी का" कहने का भाव यह है कि मनुष्य को जन्म से लेकर मरण तक लकड़ी की जरुरत पड़ती है और यह लकड़ी हमें मिलती है वृक्षों से । दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि वृक्ष मानव का आजीवन तो साथ निभाते ही हैं, मरने पर भी उसके अंतिम संस्कार में काम आते हैं ।
यह सब जानते हुए भी के पेड़ -पौधे हमारे कितने बड़े मित्र हैं जो हमारी जिंदगी में कितने सहायक होते हैं मानव अपनी कुछ सुख सुविधाओं के लिए इन पेड़ों का दुश्मन बन बैठा है वे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रहा है जिस वजय से प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है प्रदूषण की समस्या बड़ रही है और धरती के रक्षा कवच में प्रदूषण के कारण दरार पड़ रही है और धरती लगातार गर्म हो रही है ।
इसीलिए दोस्तों पेड़ो के प्रति हमें कुछ जागरूकता देखानी होगी जिससे हम इन बढ़ती हुई समस्याओं को रोक सकें ।